स्वर्गीय अनिल गुरबक्षाणी जी ने 9 जनवरी 2005 को बढ़ते कदम सामाजिक संगठन की स्थापना की।
हमारे संस्थापक के प्रेरणादायक कहानी से संस्था की शुरुआत हुयी, जिसे आज हम आगे बढ़ा रहे हैं। एक दिन हमारे संस्थापक स्व. श्री अनिल गुरबक्षाणी जी बाइक चलाते जा रहे थे, अचानक उन्हें रास्ते में एक घायल सूअर दिखाई दिया। इस घटना ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया कि “यदि मनुष्यों के उपचार के लिए 24 घंटे अस्पताल खुला रहकर सेवाएं दे सकता है तो ऐसा किसी जानवर के लिए क्यों नहीं?
आज बढ़ते कदम ने कई पशु देखभाल केंद्र और गौशालाओं की स्थपाना की है, जहाँ लावारिस गायों की देखभाल की जा रही है। साढ़े तीन एकड़ भूमि पर 216 गायों की क्षमता का आश्रय निर्माण किया गया है और एक पशु चिकित्सा केंद्र भी उपलब्ध है जहां 24 घंटे पशुओं का उपचार किया जा सकता है।
एक गैर सरकारी संगठन “प्रयास” के अंतर्गत रक्तदान शिविर की भी शुरुआत हुयी, जहाँ निःस्वार्थ भाव के साथ लोग रक्तदान करते हैं।
स्व. श्री गुरबक्षाणी जी का मानना था कि एक शिक्षित व्यक्ति अनेक लोगों के जीवन को शिक्षा से प्रकाशित कर सकता है। इस प्रकार, टिकरापारा में गैर सरकारी संगठन “सेवा भारती” के माध्यम से समाज के गरीब वर्ग के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने की शुरुआत की।
हमारे संस्थापक श्री गुरबक्षाणी जी ने सामूहिक विवाह आयोजित कर समाज सेवा में एक ऐतिहासिक प्रयास किया। समाज में विवाह की दायित्वों को पूरा करते अनेक परिवार कर्ज की बोझ में दबे होते हैं, इन सभी समस्याओं को देखते हुए उन्होंने एक साधारण सामूहिक विवाह जैसे रचनात्मक कदम उठाए। सामूहिक विवाह के आयोजन से अनेक परिवारों को शादी के दायित्वों में सहायता मिली।
जनवरी, 2001 में 31 जोड़ों ने सामूहिक विवाह में विवाह की, उसी वर्ष दिसंबर में 51 जोड़ों ने सामूहिक विवाह के आयोजन में विवाह किया। 2005 में बढ़ते कदम के संस्थापक स्वर्गीय अनिल गुरबक्षाणी जी, स्वर्गीय दादा चंदूमल मुलवानी जी, दुर्गादास पंजवानी जी और जगदीश जुगानी जी के प्रयासों से एक मैरिज ब्यूरो की स्थापना की गयी।
बढ़ते कदम ने जाति, धर्म, पंथ, नस्ल और लिंग की परवाह किए बिना अनेक कमजोर, जरूरतमंद और असहाय परिवार के बेटे-बेटियों की विवाह के दायित्वों के बोझ को कम कर सामूहिक विवाह संपन्न किया।